माता के दरबार हित, आया आज विचार।
दर्शन खातिर चल पड़ा, माँ तेरा उपकार ।
माँ तेरा उपकार, धन्य हैं भाग्य हमारे।
मत्था बारम्बार, टेकता तेरे द्वारे ।
रहा बाट था जोह, आज रविकर इतराता ।
जय माता दी बोल, हृदय नहिं हर्ष समाता ।
अब स्वस्थ हूँ -माँ के दर्शन के लिए जम्मू जा रहा हूँ-
माँ की कृपा से ५ मई से ब्लॉग पर सक्रिय हो जाऊंगा
--सादर
माँ आपकी इच्छा पूरी करें ।
ReplyDeleteखुशी हुई आपको एक लम्बे समयांतराल के बाद ।
स्वस्थ देख कर ।
Deleteमै भी दो महिीनों बाद आई हूँ णेरे पतिदेव की अस्वस्थता के चसते पर आप जल्दी स्वस्त हो कर पुनः सक्रिय हो जाइये।
ReplyDeleteपुन: आगमन के लिए बधाई। माता के दरबार में आपका स्वास्थ्य नई शक्ति अवश्य प्राप्त करेगा। आशा है स्वस्थ रहेंगे।
ReplyDeleteswagat hai aapka .....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteउत्तम स्वास्थ्य की कामना , सुन्दर रचना
ReplyDeleteमाँ आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण करेंगी
ReplyDeleteजय माता दी!
बढ़िया रचना व प्रस्तुति , आ. रविकर सर धन्यवाद !
ReplyDeleteनवीन प्रकाशन - घरेलू उपचार ( नुस्खे ) - भाग - ८
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )
BAHUT DIN SE AAPKI POST NAHI AA RAHI THI . KAI BAAR CHINTIT HO UTHHTE THE .AAJ AAPNE APNI SWASTHTA KA SANDESH DEKAR HAMEN RAHAT DEE HAI .UTTAM SWASTHY KE LIYE HARDIK SHUBHKAMNAYEN .
ReplyDeleteजय माता दी ............ यात्रा शुभ हो
ReplyDeleteसादर
अहो भाग्य हमारे ,चर्चा में आप पधारे ,
ReplyDeleteरहो सलामत हर दम दुआ मांगें सब प्यारे !
सुन्दर सुगठित मंच ए चर्चा।
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जय माता दी बोल, हृदय नहिं हर्ष समाता
जय माता दी ! जय माता दी !
आदरणीय रविकर जी
सादर प्रणाम !
आशा है , यात्रा आनंदपूर्वक संपन्न हुई होगी ।
छंद बहुत सुंदर है... साधुवाद !
स्वास्थ्य का ध्यान रखें, ब्लॉग पर सक्रियता होती रहेगी (यद्यपि आपकी याद आती है हर पोस्ट पर...)
आप स्वस्थ-सुखी रहें , यही कामना है ...
मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
माँ आप की सब मनोकामना पूरी करें और स्वास्थ्य लाभ रहे कैसी रही यात्रा
ReplyDeleteभ्रमर५