03 June, 2014

बैठा जाए दिल मुआ, कैसे बैठा जाय-

बैठा जाए दिल मुआ, कैसे बैठा जाय |
उठो चलो आगे बढ़ो, रविकर करो उपाय |

रविकर करो उपाय, निराशा नित गहराई |
राई बने पहाड़, रुकावट जब तब आई |

उद्यम करता सिद्ध, बिगड़ते काम बनाये |
धरे हाथ पर हाथ, नहीं अब बैठा जाये ||

9 comments:

  1. खड़े होना ... कार्य की और अग्रसर होना ही उपाय है ...
    अच्छी कुंडली ...

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  2. बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  3. उद्यम करता सिध्द सही कहा रविकर जी।

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  4. सार्थक सौद्देश्य सन्देश देती कुण्डलनी ,शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का ,आपके होने और दिखने का चर्चा मंच पे नै साजसज्जा संग।

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  5. बहुत उपयोगी संदेश दे रही हैं ये पंक्तियाँ !

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  6. दोहे लिखने की प्रथा लगबहग खत्म ही हो चुकी है, लेकिंन आप अब भी उसको आगे बढ़ा रहे हैं और सब के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं.

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  7. अति सुन्दर ..

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  8. बहुत दिनों के बाद कुण्डलियाँ का आनन्द मिला !

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