सुन्दर लिखा है प्रासंगिक /मौज़ू लिखा है .
गड़बड़ तो हो गया लगता है पर बहुत से प्रश्न आ कर खड़े हो जाते हैं - उनकी राष्ट्र-भावना पर शक करें इससे पहले उनका पूरा स्पष्टीकरण सामने आये कि आखिर उनका उद्देश्य क्या था !
अच्छी रचना है !
सामयिक भी और निशाने पर भी।
सुन्दर लिखा है प्रासंगिक /मौज़ू लिखा है .
ReplyDeleteगड़बड़ तो हो गया लगता है पर बहुत से प्रश्न आ कर खड़े हो जाते हैं - उनकी राष्ट्र-भावना पर शक करें इससे पहले उनका पूरा स्पष्टीकरण सामने आये कि आखिर उनका उद्देश्य क्या था !
ReplyDeleteअच्छी रचना है !
ReplyDeleteसामयिक भी और निशाने पर भी।
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