जन्नत की चाह किसे है यहाँ तो हर कोई शान्ति चाहता है और धरती पर शान्ति होगी तो यह धरती ही जन्नत होगी !
आपकी लिखी रचना शनिवार 06 सितम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........ http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
मित्र बहुत दिन के बाद भेंट हो रही है ! कुण्डलिया अच्छी है !
शान्ति की मांगे मन्नत ||beautifully penned
बहुत सुन्दर कुण्डलिया ! गुरु कैसा हो ! गणपति वन्दना (चोका )
बहुत सुंदर
बहुत खूब !
बेहतरीन सार
जगत चुका रहा दाम !यथार्थपरक !
जन्नत की चाह किसे है यहाँ तो हर कोई शान्ति चाहता है और धरती पर शान्ति होगी तो यह धरती ही जन्नत होगी !
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मित्र बहुत दिन के बाद भेंट हो रही है ! कुण्डलिया अच्छी है !
ReplyDeleteशान्ति की मांगे मन्नत ||
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बहुत सुन्दर कुण्डलिया !
ReplyDeleteगुरु कैसा हो !
गणपति वन्दना (चोका )
बहुत सुंदर
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ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसार
जगत चुका रहा दाम !
ReplyDeleteयथार्थपरक !