गनीमत है बस मिर्च है नमक की कमी और है । सुंदर ।
मिर्ची वाला लोटा :)
बहुत जबर्दस्त कटाक्ष व्यवस्था पर।
यथार्थ लेखन।
तीखा कटाक्ष।
बहुत धारदार कुंडलिया लिखी है आपने।आभार।
सुन्दर रचना...हाहाहा
वाह!
वाह सोचके और शौच के लौटे में मिर्च
सुंदर है ,शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
हर बार नया आनंद देती यह सार्थक रचना शुक्रिया रविकर भाई आपके नेहा का टिप्पणियों का स्थान देते लिए।
गनीमत है बस मिर्च है नमक की कमी और है । सुंदर ।
ReplyDeleteमिर्ची वाला लोटा :)
ReplyDeleteबहुत जबर्दस्त कटाक्ष व्यवस्था पर।
ReplyDeleteयथार्थ लेखन।
ReplyDeleteतीखा कटाक्ष।
ReplyDeleteबहुत धारदार कुंडलिया लिखी है आपने।
ReplyDeleteआभार।
सुन्दर रचना...हाहाहा
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteवाह सोचके और शौच के लौटे में मिर्च
ReplyDeleteसुंदर है ,शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
ReplyDeleteहर बार नया आनंद देती यह सार्थक रचना शुक्रिया रविकर भाई आपके नेहा का टिप्पणियों का स्थान देते लिए।
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