रहे मौन धर्मज्ञ जब, देख पाप-दुष्कर्म |
बिना महाभारत छिड़े, कहाँ सुरक्षित धर्म |
कहाँ सुरक्षित धर्म, रखें गिरवी जब तन मन |
दुर्जन करे कुकर्म, सताए हरदिन जन गण ।
कह रविकर कविराय, कृष्ण अब कहाँ आ रहे ।
भीष्म कर्ण गुरु द्रोण, युद्ध तो किये जा रहे ॥
सही कहा कृष्ण की प्रतीक्षा है।
ReplyDeleteसच कहा आपने ....
ReplyDeleteमहाभारत को आज के परिप्रेक्ष्य में ले आये, वाह।
ReplyDeleteवाह !! मंगलकामनाएं आपको !
ReplyDeleteकृष्ण के आने तक हमें ही बनना होगा कृष्ण। सुदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है .
ReplyDeleteरहे मौन धर्मज्ञ जब, देख पाप-दुष्कर्म |
ReplyDeleteबिना महाभारत छिड़े, कहाँ सुरक्षित धर्म |
sacchi bat ....
बहुत अच्छी कुण्डलियाँ !
ReplyDeleteरहे मौन धर्मज्ञ जब, देख पाप-दुष्कर्म |
बिना महाभारत छिड़े, कहाँ सुरक्षित धर्म |