ओले गोले सा बरस, चौपट करते खेत |
गलते थोड़ी देर में, मिटते फसल समेत |
मिटते फसल समेत, फिदाइन इनकी फितरत।
पहुँचाना नुक्सान, हमेशा रखते हसरत ।
बड़े अधम ये लोग, जहर दुनिया में घोले ।
होता रविकर खेत, पड़े बेमौसम ओले ॥
दोहा
गैरों ने काटा गला, झटपट काम तमाम ।
अपने तो रेता किये, लिए एक ही काम ॥
क्या बात वाह! बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर !
ReplyDeleteक्या हो गया है हमें?
वाह...लाजवाब
ReplyDeleteवाह , सही कहा आपने
ReplyDeleteमंगलकामनाएं !
बहुत सुन्दर
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