12 January, 2016
बगदादी उन्माद, सड़ाये आम मालदा
मालदार माफिया नित, फैलाये आतंक ।
कैसे होगी नष्ट फिर, वह आतंकी लंक ।
वह आतंकी लंक, बंग में नाचे नंगा ।
जन गण मन को पीट, प्रगति पर लगा अड़ंगा।
खतरनाक तकरीर, जलाये ध्वजा-सम्पदा ।
बगदादी उन्माद, सड़ाये आम मालदा ॥
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