21 January, 2016
छोड़ भगे बग़दाद, किन्तु ना जाय मदीना-
दीनारों के देश से, नारों की आवाज |
बने मुहाजिर जा रहे, ज्यादा विकसित राज |
ज्यादा विकसित राज, जहाँ पर लोक-तंत्र है |
फैलाना इस्लाम, यही तो मूल-मन्त्र है |
एक हकीकत और, वहाँ पर मुश्किल जीना |
छोड़ भगे बग़दाद, किन्तु ना जाय मदीना ||
1 comment:
kuldeep thakur
22 January 2016 at 06:58
बहुत सत्य कहा है सर आपने...
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