(1)
बड़े धर्म निरपेक्ष हैं, ना वैष्णव ना शैव।
बड़े धर्म निरपेक्ष हैं, ना वैष्णव ना शैव।
मंदिर मस्जिद चर्च पे, पक्षी उड़े सदैव।
पक्षी उड़े सदैव, दैव ना डाले दाना।
पाया मंदिर मात्र, बिना खतरे के खाना।
रविकर मस्जिद चर्च, अगर पक्षी को पकडे।
कच्चा जाँय चबाय, बड़े तगड़े हैं जबड़े।।
(2)
थाली में बोटी मिले, नाली में नित खून |
प्याली में हड्डी धरे, भेजा भरे जुनून |
भेजा भरे जुनून , विश्व को रहा जलाता |
खाता हर दिन गोश्त, अहिंसा हमें सिखाता |
फिर रविकर सा धूर्त, कर रहा रोज दलाली |
थाली में ले खाय, छेद देता फिर थाली ||
कच्चा जाँय चबाय, बड़े तगड़े हैं जबड़े।।
(2)
थाली में बोटी मिले, नाली में नित खून |
प्याली में हड्डी धरे, भेजा भरे जुनून |
भेजा भरे जुनून , विश्व को रहा जलाता |
खाता हर दिन गोश्त, अहिंसा हमें सिखाता |
फिर रविकर सा धूर्त, कर रहा रोज दलाली |
थाली में ले खाय, छेद देता फिर थाली ||
मुश्किल मे उम्मीद का, जो दामन ले थाम .
जाये वह जल्दी उबर, हो बढ़िया परिणाम..
वाह बहुत सुन्दर ।
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