बोदा लड़का घूमता, छुटका किन्तु सयान।
गाली खाए नित्य यह, बनता वह विद्वान ।
बनता वह विद्वान, विलायत पढ़ने जाता।
व्याही गोरी मेम, वहीँ पर नाम कमाता |
रविकर अब असहाय, करे सेवा यह बड़का ।
दे देना प्रभु एक, उसे भी बोदा लड़का ||
दोहा
अंकुश लगता पाप पर, चले पुण्य से राज्य |
अहंकार पर पुण्य का, सदा सर्वदा त्याज्य ||
दोहा
अंकुश लगता पाप पर, चले पुण्य से राज्य |
अहंकार पर पुण्य का, सदा सर्वदा त्याज्य ||
सटीक ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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