बिटिया रो के रह गई, शिक्षा रोके बाप।
खर्च करे कल ब्याह में, ताकि अनाप-शनाप।।
रिश्ता तोड़े भुनभुना, किया भुनाना बन्द।
बना लिए रिश्ते नये, हैं हौसले बुलन्द।।
काट हथेली को रही, हर पन्ने की कोर।
खिंची भाग्य रेखा नई, खिंचा तुम्हारी ओर।।
दो बिल्ली हर चौक पर, हैं जब से तैनात।
भीड़ नियंत्रित हो गयी, सुधरा यातायात।।
घर में मंगलकार्य जब, कर बैठे तकरार।
हर्जा-खर्चा लें बचा, रविकर पट्टीदार ।।
पहेली
सो जाये यदि यह यहाँ, टिकट नहीं कट पाय।
सो जाये यदि वह कहीं, सब का ही कट जाय।।
पहेली का उत्तर इन्टरनेट तो नहीं :)
ReplyDeleteसुन्दर ।
बहुत खूब रविकर जी.
ReplyDelete: रू-ब-रू