10 November, 2016
भागा भ्रष्टाचार, पास अच्छे दिन फटके-
टके टके पर टकटकी, खटके नोट हजार।
बेखटके निर्धन डटे, खाय अमीरी खार।
खाय अमीरी खार, बुखारी बदन गरम है।
थमता नक्सलवाद, हुआ आतंक नरम है।
भागा भ्रष्टाचार, पास अच्छे दिन फटके।
लटके झटके देख, सुधरते जायें भटके ।।
1 comment:
सुशील कुमार जोशी
10 November 2016 at 03:45
सुन्दर ।
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सुन्दर ।
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