रो रो के रोके प्रिया, फिर भी पिया अघाय।
इक किडनी भी ले लिया, मर्दानगी दिखाय।
भरो भरोसे हित वहाँ, चाहे तुम जल खूब।
चुल्लू भर भी यदि लिया, कह देगी जा डूब।।
चला कोहरा को हरा, कदम सटीक उठाय।
धीरे धीरे ही सही, मंजिल आती जाय।।
खा के नमक हराम का, रक्तचाप बढ़ जाय।
रविकर नमकहराम तो, लेता किन्तु पचाय।।
टूट सहारा झूठ का, बची बेंत की मूठ।
झूठ-मूठ दे सांत्वना, भाग्य-भरोसा रूठ।।
वाह क्या बात है :)
ReplyDeleteSunder. Namak Wala to bahut badhiya.
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