पहले तो लगती भली, फिर किच-किच प्रारम्भ।
रविकर वो बरसात सी, लगी दिखाने दम्भ।।
रविकर तेरी याद ही, सबसे बड़ा प्रमाद।
कई व्यसन छोटे पड़े, धंधे भी बरबाद।।
माँग हौंसलो से रहा, रविकर प्यार सुबूत।
ठोकर खा के हँस पड़ा, फिर से जिन्दा भूत।।
करो प्रार्थना या हँसो, दोनो क्रिया समान।
हँसा सको यदि अन्य को, देंगे प्रभु वरदान।।
यदा कदा नहला रही, किस्मत की बरसात।
नित्य नहाने के लिए, करो परिश्रम तात।।
वाह।
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