18 September, 2017

मुक्तक-

बहस माता-पिता गुरु से, नहीं करता कभी रविकर ।
अवज्ञा भी नहीं करता, सुने फटकार भी हँसकर।
कभी भी मूर्ख पागल से नहीं तकरार करता पर-
सुनो हक छीनने वालों, करे संघर्ष बढ़-चढ़ कर।।

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-09-2017) को बहस माता-पिता गुरु से, नहीं करता कभी रविकर : चर्चामंच 2733 पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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