10 October, 2017

शुभ विवाह/ सात वचन

अभिमुख ध्रुव-तारा लखे, पाणिग्रहण संस्कार | 
हुई प्रज्ज्वलित अग्नि-शुभ, होता मंत्रोच्चार | 
होता मंत्रोच्चार, सात फेरे लगवाते | 
सात वचन के साथ, एक दोनों हो जाते | 
ले उत्तरदायित्व, परस्पर बाँटें सुख-दुख | 
होय अटल अहिवात, कहे ध्रुव-तारा अभिमुख |

सात वचन/1

चले जब तीर्थ यात्रा पर मुझे तुम साथ लोगे क्या।
सदा तुम धर्म व्रत उपक्रम मुझे लेकर करोगे क्या।
वचन पहला करो यदि पूर्ण वामांगी बनूँगी मैं
बताओ अग्नि के सम्मुख, हमेशा साथ दोगे क्या।।

सात वचन/2

कई रिश्ते नए बनते, मिले परिवार जब अपने।
पिता माता हुवे दो दो, बढ़े परिवार अब अपने।
करोगे एक सा आदर, वचन यदि तुम निभाओगे।
तभी वामांग में बैठूँ बढ़े सम्बन्ध तब अपने।।

सात वचन/3

युवा तन प्रौढ़ता पाकर बुढ़ापा देखता आया।
यही तीनों अवस्थाएं हमेशा भोगती काया।
विकट चाहे परिस्थिति हो, करो मेरा अगर पालन।
अभी वामांग में बैठूँ, बनूँगी सत्य हमसाया।।

सात वचन/4

अभी तक तो कभी चिंता नहीं की थी गृहस्थी की।
हमेशा घूमते फिरते रहे तुम खूब मस्ती की।
जरूरत पूर्ति हित बोलो बनोगे आत्मनिर्भर तो
अभी वामांग में बैठूँ, शपथ लेकर पिताजी की।।

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (11-10-2017) को
    होय अटल अहिवात, कहे ध्रुव-तारा अभिमुख; चर्चामंच 2754
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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