17 July, 2011

था जीवन आधार, यही बाबा का गौधन ||

जो गुहाल के हाल पर, गैया  करे  सवाल |
मुर्ग-मछलियाँ पालता,  देता उसे हकाल ||

देता उसे  हकाल,  लगाईं कितनी सुइयां,
सारा  दूध  निचोड़,   ढकोरे  ढेरे  गोइयां  |

रविकर हड्डी-तोड़, बिगाड़े उसका जीवन |
था जीवन  आधार,  यही बाबा का गौधन ||

जनता पूछे देश में, कितने महिने और |

7 comments:

  1. रविकर हड्डी-तोड़, बिगाड़े उसका जीवन |
    था जीवन आधार, यही बाबा का गौधन
    कुछ शब्द समझ न आने के कारन अभी कुछ कह न पाऊंगी रवि जी कृपया-गुहाल ,हकाल,व् ढकोरे के अर्थ बताने का कष्ट करें

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  2. गुहाल = गाय के बाँधने का स्थान , गौशाला

    हकाल = तिरस्कृत कर भगाना ,

    ढकोर = जरुरत से भी अधिक खाना या पीना ||

    गोइयाँ = दोस्त

    आभार शालिनी जी ||

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  3. गुप्ता जी आप ने गौधन के बारे में एक दम सही बात कही है| लगा लगा कर सुई चौपायों की बेंड बजा दी है लोगों ने| काश आपकी पोस्ट से कुछ सबक लें|

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  4. शोषण के रूप में अच्छी टिपण्णी

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  5. keya sundar rachanakaar hai aap

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  6. सार्थक लेखन हेतु बधाई

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  7. शब्दों के अर्थ बताने हेतु आभार.
    गागर में सागर भर आप हर पोस्ट के माध्यम से बहुत सटीक बातें कह रहे हैं.बधाई.

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