14 July, 2011

मरे को दो \, जिन्दा को एक ||

काल कालका का करे, काका  को  कन्फर्म,
आश्रित उनका एक मैं,  सरकारी  सद्कर्म |

सरकारी   सद्कर्म,   नौकरी    मैंने    पाई ,
काकी   मेरे   पास,  रहेगी  बन  कर  माई |

ताजा बम विस्फोट, खड़ा हूँ हक्का-बक्का-
बप्पा घायल पड़े, लाख  का  पूरा  धक्का ||

5 comments:

  1. आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
    बहुत ही सुन्दर

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  2. हक्का बक्का तो मैं भी खड़ी हूँ कि इस विषय को ऐसे भी लिखा जा सकता ??

    सार्थक...प्रभावशाली...

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  3. ताजा बम विस्फोट, खड़ा हूँ हक्का-बक्का-
    बप्पा घायल पड़े, लाख का पूरा धक्का ||
    भारत जैसे देश में ऐसे धक्के तो लगते ही रहते हैं सार्थक लिखा है आपने.

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  4. गजब का धक्का लगा -सुन्दर व्यंग्य -ये तो होना ही था सब मंत्री बोले
    सुझाव के साथ अच्छा लगे तो अपना समर्थन भी दें
    शुक्ल भ्रमर ५
    भ्रमर की माधुरी
    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

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  5. बहुत सुन्दर

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