मचा बवंडर पाक में, रही दुर्दशा झाँक |
आधे जन जेहाद में, धूल अर्ध-जन फाँक |
धूल अर्ध-जन फाँक, बिगड़ते जाते हालत |
होय मिलिट्री रूल, दीखती ऐसी नौबत |
जरदारी फिर भाग, आग से दुबई डरकर |
जनता अब तो जाग, थाम तू मचा बवंडर ||
संशोधन:
संशोधन:
शादी में बाहर गए, आये बुद्धू आप |
लेकिन कुछ शातिर बड़े, लेते गर्दन नाप ||
पाकिस्तान में तो सचमुच बड़ी अशांति फैली हुई है ..
ReplyDeleteअच्छी कुंडलिया !
ReplyDeleteक्या खूब कहा है ,वाह...!
ReplyDeleteवाह ! क्या कहने !
ReplyDeleteसटीक और सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeletewah!sir pak ki sthiti par satik prastuti
ReplyDeleteसार्थक व सटीक लिखा है आपने ...आभार ।
ReplyDeleteशानदार , खूब पहचाना आपने पाक को |
ReplyDeleteएक-एक लाइन कई-कई पैरों पर भारी।
ReplyDeleteबहुत खूब कहा है !
ReplyDeleteसत्य और सटीक अच्छी लगी प्रस्तुति
ReplyDeletesundar prastuti.
ReplyDeleteमेरी कविता
hmm....sachchi baat
ReplyDeleteहालातों का सटीक चित्रण...
ReplyDeletebahut khoob :)
ReplyDeletewelcome to my blog.
waah! kya baat hai :) :)
ReplyDeleteVaah Dinesh ji ... paakistaan ko bhi lapet liya aapne .... majedaar hain sabhi dohe ...
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