चाँद-तारे तोड़ने का झूठ वादा
हो चुके जो केश उजले तोडिये ।।
जिंदगी मेरी संवारोगे कहो,
नाखून पहले उँगलियों के काट लो ।।
कह रहे थे आज पटने जा रहा, छुट्टी रहेगी ।
बात पर अपने नहीं टिकते हो तुम ।
हर जरुरत मटुक यह पूरा करेगा ।
किन्तु दो दिन से रिफिल न ला रहे ।
पर्वतों को काट कर रास्ता बना दूँ ।
नरदहा घर का हमारे जाम है ।।
चाँद-तारे तोड़ने का झूठ वादा
ReplyDeleteहो चुके जो केश उजले तोडिये ।।
.......खूबसूरत ख्यालो से सजी रचना...बधाई!!
YAHI HOTA HAI SHADI SE PAHLE
ReplyDeleteजय हो....जूली महारानी !
ReplyDeleteपर्वतों को काट कर रास्ता बना दूँ
ReplyDeletebeautifully said
जय जय बटुक नाथ... :))
ReplyDeleteमज़ा आ गया, आजकल ये 'मटुकनाथ' क्या गुल खिला रहे हैं ? ..... कुछ खोज खबर....!
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