01 April, 2012

प्रो. मटुक और शिष्या जूली संवाद : शादी से पहले

चाँद-तारे तोड़ने का झूठ वादा 
हो चुके जो केश उजले तोडिये ।।
 
जिंदगी मेरी संवारोगे कहो, 
नाखून पहले उँगलियों के काट लो ।।

कह रहे थे आज पटने जा रहा,  छुट्टी रहेगी ।
बात पर अपने नहीं टिकते हो तुम ।

हर जरुरत मटुक यह पूरा करेगा ।
किन्तु दो दिन से रिफिल न ला रहे ।

पर्वतों को काट कर रास्ता बना दूँ ।
नरदहा घर का हमारे जाम है ।। 










6 comments:

  1. चाँद-तारे तोड़ने का झूठ वादा
    हो चुके जो केश उजले तोडिये ।।
    .......खूबसूरत ख्यालो से सजी रचना...बधाई!!

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  2. जय हो....जूली महारानी !

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  3. पर्वतों को काट कर रास्ता बना दूँ
    beautifully said

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  4. मज़ा आ गया, आजकल ये 'मटुकनाथ' क्या गुल खिला रहे हैं ? ..... कुछ खोज खबर....!

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