21 April, 2012

नैतिक शिक्षा हुई, आज की जिम्मेदारी -

 जिम्मेदारी   के   लिए,  हो   जाओ  तैयार,  

बच्चों के प्रति है अगर, थोडा सा भी प्यार |

थोडा सा भी प्यार,  बड़ा  विश्वास जगाओ--
सबसे पहले स्वयं,  कठिन संयम अपनाओ |
है  जो  बात  जरुरी,  उसकी  करो  तैयारी |
नैतिक शिक्षा हुई ,   आज  की जिम्मेदारी ||


स्नेहमयी  स्पर्श  की, अपनी  इक  पहिचान,  
बुरी-नियत संपर्क का, चलो  दिलाते  ध्यान |
चलो  दिलाते  ध्यान, बताना   बहुत  जरुरी,
दिखे  भेड़  की  खाल, बना  के  रक्खे  दूरी |
करो   परीक्षण  स्वयं, बताओ सीधा रस्ता,
घर  आये   चुपचाप,  उठा के अपना बस्ता ||


पहली  कक्षा  में  सिखा, सेहत  के  सब  राज,
और  आठवीं  में  बता ,  सब  अंगों  के  काज |
सब  अंगों  के  काज,  मगर   विश्वास  जरुरी,
धीरे - धीरे    शांत,  करो     उत्सुकता     पूरी |
खतरे - रोग - निदान,  बताना  एक - एक  कर,
पशु-पिशाच  की  भीड़ , हमेशा  देख-रेख  कर ||


चंचल मन पर क्या कभी, चला किसी का जोर
हलकी  सी   बहती   हवा,   आग   लगाए   घोर |
आग    लगाए     घोर,   बचाना    चिंगारी    से,
पढना  लिखना  खेल,  सिखाओ  हुशियारी  से |
कह  रविकर  समझाए,  अगर  पढने  में  कच्चा,
रखिये   ज्यादा  ध्यान,  बिगड़  जाये  न  बच्चा ||


बच्चों को भी हो पता,  होवेगा  कब  व्याह,
रोजगार से लग चुका,  तब भी भरता आह |
तब भी भरता आह,   हुवा वो  पैंतिस  साला--
बढ़  जाते  हैं  चांस,  करे  न  मुँह  को काला |
सही समय पर व्याह,  कराओ  उसका  भाई,
इधर-उधर  हर-रोज  करे  न  कहीं  सगाई  ||

5 comments:

  1. सबसे पहले स्वयं, कठिन संयम अपनाओ |
    है जो बात जरुरी, उसकी करो तैयारी |
    नैतिक शिक्षा हुई , आज की जिम्मेदारी ||

    वाह !!
    जरूरी है !

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  2. खतरे - रोग - निदान, बताना एक - एक कर,
    पशु-पिशाच की भीड़ , हमेशा देख-रेख कर ||


    चंचल मन पर क्या कभी, चला किसी का जोर
    हलकी सी बहती हवा, आग लगाए घोर |
    आग लगाए घोर, बचाना चिंगारी से,
    पढना लिखना खेल, सिखाओ हुशियारी से |

    प्रिय रविकर जी .होश दिलाती रचना बहुत जरुरी है आँखे खोले हुए बच्चों की परवरिश करना
    नायाब रचना
    भ्रमर ५

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  3. है जो बात जरुरी, उसकी करो तैयारी |
    नैतिक शिक्षा हुई , आज की जिम्मेदारी ...

    सच कहा है रवि जी ... आज की जिम्मेवारी तो यही है अगर अच्छा इंसान बनाना है तो ...

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  4. चंचल मन पर क्या कभी, चला किसी का जोर
    हलकी सी बहती हवा, आग लगाए घोर |
    आग लगाए घोर, बचाना चिंगारी से,
    पढना लिखना खेल, सिखाओ हुशियारी से |
    कह रविकर समझाए, अगर पढने में कच्चा,
    रखिये ज्यादा ध्यान, बिगड़ जाये न बच्चा ||
    बोध कविता प्रवाह .सरिता सा कलकल बहता जाए ,बच्चे को सब कुछ समझाए ,उंच नीच के भेद बताये ,....

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  5. किस पडाव पर क्या जरूरी है बताने वाली नैतिक शिक्षा की कुडलियां सटीक हैं ।

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