06 November, 2012

वैचारिक इस क्रान्ति में, नए नए कुविचार-

 

वैचारिक इस क्रान्ति में, नए नए कुविचार ।
आकर्षित करते जगत, कुंद सनातन धार ।

कुंद सनातन धार, पुन: हो जाए तीखी ।
हे अमर्त्य बलवीर, नीति कर कृष्ण सरीखी ।

जीतेगा सुविचार, होय गुंजन ओंकारिक ।
भोगवाद की हार, जीत शाश्वत वैचारिक ।।



घृत डालो नित प्रेम का, बनी रहे लौ-आग


उम्मीदों का जल रहा, देखो सतत चिराग |
घृत डालो नित प्रेम का, बनी रहे लौ-आग | 

बनी रहे लौ-आग, दिवाली चलो मना ले |
अपना अपना दीप, स्वयं अंतस में बालें |

भाई चारा बढे, भरोसा प्रेम सभी दो |
सुख शान्ति-सौहार्द, बढ़ो हरदम उम्मीदों ||

6 comments:

  1. वैचारिक क्रांति के इस युग में सनातन धर्म के विचार ही सही दिशा दे सकते हैं ये सत्य है कोई माने या न माने...
    दीपोत्सव के मौके पर एक सार्थक सन्देश देती आपकी कलम

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  2. बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति .बधाई

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  3. बहुत खूब!
    रविकर तो सबका चहेता है और अनूठा भी!

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  4. उम्मीदों का जल रहा, देखो सतत चिराग |
    घृत डालो नित प्रेम का, बनी रहे लौ-आग |

    बनी रहे लौ-आग, दिवाली चलो मना ले |
    अपना अपना दीप, स्वयं अंतस में बालें |

    भाई चारा बढे, भरोसा प्रेम सभी दो |
    सुख शान्ति-सौहार्द, बढ़ो हरदम उम्मीदों ||

    बना रहे सौहाद्र आपका ,ब्लोगियों के बड़- भाग ,दिवाली कहे मुबारक .

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  5. वैचारिक इस क्रान्ति में, नए नए कुविचार ।
    आकर्षित करते जगत, कुंद सनातन धार ।

    कुंद सनातन धार, पुन: हो जाए तीखी ।
    हे अमर्त्य बलवीर, नीति कर कृष्ण सरीखी ।

    जीतेगा सुविचार, होय गुंजन ओंकारिक ।
    भोगवाद की हार, जीत शाश्वत वैचारिक ।।
    शाश्वत सत्य .सुविचार ही श्रेष्ठ विचार है बाकी सब भ्रान्ति है .हमें चर्चा मंच में बिठाने के लिए आभार .

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  6. bahut hi sundar aur rochak prastuti

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