17 July, 2013

थे तो लाख उपाय पर, बाँट रहे दो लाख-

  घटना पर घटना घटे, घटे नहीं सन्ताप |
थे तो लाख उपाय पर, बाँट रहे दो लाख |


बाँट रहे दो लाख, नहीं बच्चे बच पाए |
मुआवजा ऐलान, दुशासन साख बचाए |

बच्चे छोड़ें जगत, छोड़ते वे नहिं पटना  |
बके बड़ा षड्यंत्र,  विपक्षी करते घटना ||




मन्त्रालय रख तीस ठो, नीति नियम नीतीश |

धूल धूसरित हो रहे, खा कर मरते बीस |



खा कर मरते बीस, बाढ़ ने कितने खाये |

इधर धमाका होय, उधर नक्सल धमकाए |



बची रहे सरकार, फेल हो जाए तंत्रा |

लम्बी चौड़ी खीस, बनाया असली मंत्रा ||

अफरा-तफरी मच गई, खा के मिड-डे मील |
अफसर तफरी कर रहे, बीस छात्र लें लील |


बीस छात्र लें लील, ढील सत्ता की दीखे |
मुवावजा ऐलान, यही इक ढर्रा सीखे |


आने लगे बयान, पार्टियां बिफरी बिफरी |
किन्तु जा रही जान, मची है अफरा तफरी ||


8 comments:

  1. लोकतन्‍त्र का सौदा महंगा है

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  2. एक से एक बढ़ कर बेईमान !

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  3. बेहद दुखद है....
    बढ़िया अभिव्यक्ति रविकर जी...
    सादर
    अनु

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  4. मार्मिक घटना की सच्चाई लिख दी है ...

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  5. बहुत दर्दनाक घटना हालात की बढियां अभिव्यक्ति .......!!

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  6. अत्यंत यथार्थपरक रचना ....

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  7. इस बेहद दुखद घटना पर आपकी सार्थक अभिव्यक्ति ।

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