16 February, 2014

तन मन धन का दान, करोड़ों लगे कमाने-

माने शरमाने लगे, सिर्फ स्वार्थमय भोग |
शारीरिक सुख-साधते, जाने-माने लोग |

जाने-माने लोग, कराएं परहित धंधे |
उच्चकोटि के ढोंग, फँसाये कोटिक अंधे |

बन बैठे भगवान्, बनायें विविध बहाने |
तन मन धन का दान, करोड़ों लगे कमाने ||


 
कुण्डलियाँ
(१)
दीखे अ'ग्रेसर खड़ा, छात्रा छात्र तमाम ।
करें एकश: अनुकरण, आवश्यक व्यायाम ।
आवश्यक व्यायाम, भंगिमा किन्तु अनोखी ।
कई डुबाएं नाम, हरकतें नइखे चोखी ।
वहीँ ईंट पर बाल, लगन से रविकर सीखे ।
ऊँची भरे उड़ान, सहज अनुकर्ता दीखे ॥


6 comments:

  1. उच्चकोटि के ढोंग, फँसाये कोटिक अंधे |

    व वाह . . . वा वाह . . .

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  2. गूढार्थ व्यंजना के लिए आप की पहँचान की एक इकाई है यह रचना भी !

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  3. तहलका .कॉम पर कटाक्ष :

    माने शरमाने लगे, सिर्फ स्वार्थमय भोग |
    शारीरिक सुख-साधते, जाने-माने लोग |

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  4. सुन्दर चित्र के साथ तादात्म्य बनाई सुन्दर रचना भारत के नौनिहाल ,करें इस्कूल के लिए ताकझांक .

    (१)
    दीखे अ'ग्रेसर खड़ा, छात्रा छात्र तमाम ।
    करें एकश: अनुकरण, आवश्यक व्यायाम ।
    आवश्यक व्यायाम, भंगिमा किन्तु अनोखी ।
    कई डुबाएं नाम, हरकतें नइखे चोखी ।
    वहीँ ईंट पर बाल, लगन से रविकर सीखे ।
    ऊँची भरे उड़ान, सहज अनुकर्ता दीखे ॥
    (स्कूल )

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