19 February, 2014

अंध गुफा में ठेल, सिखाये आप कायदा-

यदा-यदा बढ़ता भरम, बढ़ता असुरोत्पात |
जाति-धर्म क्षेत्रीयता, आये याद जमात |

आये याद जमात, मात खा जाए सज्जन |
गिरवी रख जज्बात, करे ज्यों खुद को अर्पण |

नौटंकी प्रारम्भ, दृश्य में देख फायदा |
अंध गुफा में ठेल, सिखाये आप कायदा ||

अब चुनाव आसन्न, व्यस्त फिर भारतवासी

(१)
खाँसी की खिल्ली उड़े, खीस काढ़ते आप |
खुन्नस में मफलर कसे, गया रास्ता नाप |

गया रास्ता नाप, नाव मझधार डुबाये |
सहा सर्द-संताप, गर्म लू जल्दी आये |

अब चुनाव आसन्न, व्यस्त फिर भारतवासी |
जन-गण दिखें प्रसन्न, हुई संक्रामक खाँसी॥ 

2 comments:

  1. खांसी तो मेरी भी एक महीने से संक्रामक हो गई है। जबर्दस्‍त।

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  2. बढ़िया प्रस्‍तुति

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