10 January, 2013

ठण्ड माघ की बाघ, बढ़ा के रेल किराया-


 देख रियाया आ डटी, कपट सियासत झेल ।
रियासती-झंझट बढ़े, सीमा पर भी फेल ।

सीमा पर भी फेल, शादियाँ होती नाना ।
अब्दुल्ला हर बार, और ज्यादा मस्ताना ।

ठण्ड माघ की बाघ, बढ़ा के रेल किराया ।
मंत्री मूते आग,  रुलाते देख रियाया ।।

मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी-

indian commuter train
 दो दो पैसे में बटा, किम्मी किम्मी दर्द
तुम क्या जानो कीमतें, मोहन बाबू मर्द ।
मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी
देह आज है जर्द, आत्मा अटकी भटकी ।
समय सुरक्षित रेल, बढ़ें सुविधाएं कैसे ?
रहे संपदा लूट, लूट अब दो दो पैसे ।।


दान समझ कर डाल दे, हो जा हिन्दु रिलैक्स -


डालो पैसे कुम्भ में, है नहिं मेला टैक्स ।
दान समझ कर डाल दे,  हो जा हिन्दु रिलैक्स ।
 हो जा हिन्दु रिलैक्स, फैक्स आया है भारी ।
हज पर अगली बार, सब्सिडी की तैयारी ।
अमरनाथ जय जयतु, नहीं इच्छा तुम पालो ।
नेकी कर ले भगत, दान दरिया में डालो ।।


चेंज करा के सेक्स, सजा दो जस्टिस वर्मा-
जस्टिस वर्मा को मिले, भाँति-भाँति के मेल ।
रेपिस्टों की सजा पर, दी दादी भी ठेल ।  

दी दादी भी ठेल, कत्तई मत अजमाना ।
 सही सजा है किन्तु, जमाना मारे ताना ।

जो भी औरत मर्द, रेप सम करे अधर्मा ।
चेंज करा के सेक्स, सजा दो जस्टिस वर्मा ।।

6 comments:

  1. सराहनीय प्रस्तुति.बहुत सुंदर

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  2. प्रभावशाली ,
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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  3. दो दो पैसे में बटा, किम्मी किम्मी दर्द ।
    तुम क्या जानो कीमतें, मोहन बाबू मर्द ।
    मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी ।
    देह आज है जर्द, आत्मा अटकी भटकी ।
    समय सुरक्षित रेल, बढ़ें सुविधाएं कैसे ?
    रहे संपदा लूट, लूट अब दो दो पैसे ।।

    भाई साहब तस्वीर हिन्दुस्तान की है असली है .

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  4. दो दो पैसे में बटा, किम्मी किम्मी दर्द ।
    तुम क्या जानो कीमतें, मोहन बाबू मर्द ।
    मोहन बाबू मर्द, कभी काटी ना चुटकी ।
    देह आज है जर्द, आत्मा अटकी भटकी ।
    समय सुरक्षित रेल, बढ़ें सुविधाएं कैसे ?
    रहे संपदा लूट, लूट अब दो दो पैसे ।।

    भाई साहब तस्वीर हिन्दुस्तान की है असली है .

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  5. बढ़िया प्रस्तुति भाई साहब .

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  6. Kitane vividh vishayon par sheeghr kawitw karke kundaliyan prastut karate hain aap. Salam aapki kalam ko .

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