25 February, 2013

पीपल पलथी पाग, कहाँ सप्ताहिक मंडी-

गोरु गोरस गोरसी,  गौरैया गोराटि । 

  गो गोबर गोसा गणित, गोशाला परिपाटि । 


 गोशाला परिपाटि, पञ्च पनघट पगडंडी । 


पीपल पलथी पाग, कहाँ सप्ताहिक मंडी । 


गाँव गाँव में जंग,  जमीं जर जल्पक जोरू ।  
 
 भिन्न भिन्न दल हाँक, चराते रहते गोरु ॥ 
गोसा=गोइंठा / उपला
गोरसी = अंगीठी 
गोरु = जानवर 
गोराटि = मैना 
पाग=पगड़ी  
जलपक =बकवादी  

8 comments:

  1. मित्रवर, शाब्दी व्यंजना गज़ब की है !

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  2. आपने बिलकुल सही कहा बहुत खूब

    मेरी नई रचना
    ये कैसी मोहब्बत है

    खुशबू

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  3. ग की आनुप्रासिक छटा बिखेर दी आपने .

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  4. अनुप्रास की प्रासिंगगता के साथ बेहतरीन शब्द संयोजन

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