02 March, 2013

तीन, तीन तेरह करे, मार्च पास्ट करवाय

धनहर-ईंधन धन हरे, धनहारी मुसकाय ।
तीन, तीन तेरह करे, मार्च-पास्ट कर जाय। 

मार्च पास्ट करवाय, आय व्यय का तखमीना ।
आग लगे धनधाम, चैन जनता का छीना ।
 



इ'स्कैम और इ' स्कीम, भाव गहरे हैं रविकर । 
मार्च-लूट आभार,  बढे जाते हैं  धनहर ॥

तीन, तीन तेरह करे, मार्च पास्ट करवाय । 
धनहर-ईंधन धन हरे, धनहारी मुसकाय । 

धनहारी मुसकाय, आय व्यय का तखमीना । 
आग लगे धनधाम, चैन जनता का छीना । 

इ'स्कैम और इ' स्कीम, भाव इसमें हैं गहरे । 
धन्य धन्य सरकार, तीन, तीन तेरह करे ॥ 

धनहर=धन चुराने वाला 
धनहारी = दूसरे के धन का उत्तराधिकारी 
धनधाम=रूपया पैसा और घरबार 

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर | बधाई


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    Tamasha-E-Zindagi
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  2. तीन और तेरह का बेहतरीन खेल,"तीन तीन तेरह कहे ,लिखे
    उसे तैतीस,जब जब मुह खोले,दाँत दिखे बत्तीस .

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  3. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 04-03-2013 को सोमवारीय चर्चा : चर्चामंच-1173 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  4. सुंदर रचना
    बधाई

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  5. सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. बहुत खूब सुन्दर अभिव्यक्ति।।।।।।

    मेरी नई रचना
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?

    ये कैसी मोहब्बत है

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  7. वाह पी सी के बजट पर चुटीला व्यंग ।

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