25 August, 2013

आह वजीरे-आजमी, आहा आजम खान-



आह वजीरे-आजमी, आहा आजम खान |
रहे धरे के धरे कुल, मन्सूबे आहवान |

मन्सूबे आह्वान, रही रौनक सूबे में |
सोच नफा-नुक्सान, हुवे खुश दोनों खेमे |

राम-लला फिलहाल, विराजे सरयू तीरे |
लगा पुराना टेंट, भरें वह आह, वजीरे ||

  हँसे हिन्दुकुश हटकि, चुकाए हिन्दु उधारा-
(1)

धारा चौवालिस धरा, अवध पधारा भक्त |
सरयू धारा धरा सह, आज हुई ना रक्त |
आज हुई ना रक्त, दुबारा सख्त मुलायम |
परिक्रमा पर रोक, व्यवस्था रहती कायम |
चल चौरासी कोस, महज नर-नारी नारा |
 हँसे हिन्दुकुश हटकि, चुकाए हिन्दु उधारा ||

 (2)
ढाई फिर से जुल्म है, यह जालिम सरकार । 
प्रतिबंधित कर परिक्रमा, छीन मूल अधिकार । 
छीन मूल अधिकार, कोस चौरासी घेरा । 
रहे परस्पर कोस, सीट अस्सी का फेरा । 
परिषद् करे प्रचार, दोष इसमें क्या भाई । 
 वोट बैंक पर नजर, सभी ने अगर गढ़ाई । 

2 comments:

  1. किसी तरह सत्‍तासीन होने के लिए क्‍या-क्‍या कर रहे हैं, शर्म आती है।

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  2. कृष्ण-जन्माष्टमी की अग्रिम वधाई ! मित्र आज गद्य में विचार अभिव्यक्ति को रोक नहीं पाया | दुराचार का ऐसा भीषण स्वरूप जोअध्यातं में पैठ गया है,एक ही सन्त (तथाकथित) के आचरण में पाया गया है , मन को हिला कर रख गया है |
    बहुत अच्छी कुण्डलियाँ |

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