22 April, 2014

जय माता दी बोल, हृदय नहिं हर्ष समाता -

माता के दरबार हित, आया आज विचार। 
दर्शन खातिर चल पड़ा, माँ तेरा उपकार । 

माँ तेरा उपकार, धन्य हैं भाग्य हमारे। 
मत्था बारम्बार, टेकता तेरे द्वारे । 

रहा बाट था जोह, आज रविकर इतराता । 
जय माता दी बोल, हृदय नहिं हर्ष समाता । 

अब स्वस्थ हूँ -माँ के दर्शन के लिए जम्मू जा रहा हूँ-
माँ की कृपा से ५ मई से ब्लॉग पर सक्रिय हो जाऊंगा 
--सादर 

14 comments:

  1. माँ आपकी इच्छा पूरी करें ।
    खुशी हुई आपको एक लम्बे समयांतराल के बाद ।

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  2. मै भी दो महिीनों बाद आई हूँ णेरे पतिदेव की अस्वस्थता के चसते पर आप जल्दी स्वस्त हो कर पुनः सक्रिय हो जाइये।

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  3. पुन: आगमन के लिए बधाई। माता के दरबार में आपका स्‍वास्‍थ्‍य नई शक्ति अवश्‍य प्राप्‍त करेगा। आशा है स्‍वस्‍थ रहेंगे।

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  5. उत्तम स्वास्थ्य की कामना , सुन्दर रचना

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  6. माँ आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण करेंगी
    जय माता दी!

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  7. BAHUT DIN SE AAPKI POST NAHI AA RAHI THI . KAI BAAR CHINTIT HO UTHHTE THE .AAJ AAPNE APNI SWASTHTA KA SANDESH DEKAR HAMEN RAHAT DEE HAI .UTTAM SWASTHY KE LIYE HARDIK SHUBHKAMNAYEN .

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  8. जय माता दी ............ यात्रा शुभ हो
    सादर

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  9. अहो भाग्य हमारे ,चर्चा में आप पधारे ,

    रहो सलामत हर दम दुआ मांगें सब प्यारे !

    सुन्दर सुगठित मंच ए चर्चा।

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  10. ☆★☆★☆



    जय माता दी बोल, हृदय नहिं हर्ष समाता
    जय माता दी ! जय माता दी !

    आदरणीय रविकर जी
    सादर प्रणाम !

    आशा है , यात्रा आनंदपूर्वक संपन्न हुई होगी ।
    छंद बहुत सुंदर है... साधुवाद !

    स्वास्थ्य का ध्यान रखें, ब्लॉग पर सक्रियता होती रहेगी (यद्यपि आपकी याद आती है हर पोस्ट पर...)
    आप स्वस्थ-सुखी रहें , यही कामना है ...


    मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार


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  11. माँ आप की सब मनोकामना पूरी करें और स्वास्थ्य लाभ रहे कैसी रही यात्रा
    भ्रमर५

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