15 July, 2014

रविकर करें बवाल, आज कर बैठा वैदिक-

 दिक करते हैं दोस्त अब, छोड़ा सोच-विचार । 
रब ही अब रक्षा करे, कर दे बेड़ा पार । 

कर दे बेड़ा पार, नहीं मझधार डुबाये । 
मानसून की मार, दुष्ट मँहगाई खाए । 

हाफिज गुरु घंटाल, शंकराचार्या आदिक । 
रविकर करें बवाल, आज कर बैठा वैदिक ॥ 

4 comments:

  1. सुन्दर लिखा है प्रासंगिक /मौज़ू लिखा है .

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  2. गड़बड़ तो हो गया लगता है पर बहुत से प्रश्न आ कर खड़े हो जाते हैं - उनकी राष्ट्र-भावना पर शक करें इससे पहले उनका पूरा स्पष्टीकरण सामने आये कि आखिर उनका उद्देश्य क्या था !

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  3. सामयिक भी और निशाने पर भी।

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