30 January, 2016

नेता करें शिकार, चाहिए रविकर सत्ता

सत्ता की खातिर जिसे, वोटों की दरकार |
जाति-धर्म में बाँट के, लगा रहा दरबार |

लगा रहा दरबार, ग्राम-चौपाल लजाये |
घाट घाट का आज, वही पानी पिलवाये |

लोकतंत्र की मार, अभी बाकी अलबत्ता |
नेता करें शिकार, चाहिए रविकर सत्ता ||
 दोहा 
छलिया तूने हाथ में, खींची कई लकीर |

उनको ही समझा किया,  मैं अपनी तक़दीर ||

1 comment:

  1. राष्ट्रीय पक्षी पशु और चरित्र ।

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